कोविड-19 संकट आने के पहले भारतीय अर्थव्यवस्था

आंकड़े देते हैं गवाही
कोविड-19 संकट आने के पहले भारतीय अर्थव्यवस्था नॉमिनल जीडीपी के आधार पर 45 साल के न्यूनतम स्तर पर थी. रियल जीडीपी के आधार पर 11 साल के न्यूनतम स्तर पर थी. बेरोजगारी की दर पिछले 45 साल में सबसे अधिक थी और ग्रामीण मांग पिछले 40 साल के सबसे न्यूनतम स्तर पर थी. इसलिए बेहतर यह होगा कि जारी आर्थिक संकट को समझने के लिए पिछले 2 वर्ष से चल रहे आर्थिक संकट को भी संज्ञान में लिया जाए. तब जाकर कहीं कोविड-19 संकट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को दोबारा तेजी से आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत नीति का निर्माण हो सकता है.

वर्तमान की बात करें तो भारतीय अर्थव्यवस्था एक गहरी संकट की तरफ बढ़ रही है. विभिन्न प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के संदर्भ में जो आकलन जारी किए हैं, वे चिंताजनक हैं.

आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एडीबी और मूडीज जैसी संस्थाओं ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में एक बड़ी कटौती की है. आईएमएफ के अनुसार भारत की जीडीपी विकास दर 1.9 फीसदी रह सकती है.

वर्ल्ड बैंक ने दो संभावनाएं जताई हैं. पहली संभावना यह है कि अगर भारत सही वक्त पर सही तरीके से इसे कंट्रोल करने में कामयाब रहा तो अर्थव्यवस्था में जीडीपी वृद्धि दर 4 फीसदी रहेगी.

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