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Decreasing rate of Indian GDP

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Annual percentage growth rate of GDP at market prices based on constant local currency. Aggregates are based on constant 2010 U.S. dollars. GDP is the sum of gross value added by all resident producers in the economy plus any product taxes and minus any subsidies not included in the value of the products. It is calculated without making deductions for depreciation of fabricated assets or for depletion and degradation of natural resources. India gdp growth rate for 2020 was -7.96%, a 12.01% decline from 2019. India gdp growth rate for 2019 was 4.04%, a 2.49% decline from 2018. India gdp growth rate for 2018 was 6.53%, a 0.26% decline from 2017. India gdp growth rate for 2017 was 6.80%, a 1.46% decline from 2016

Suggestions For INDIAN ECONOMIC Growth

To grow the Indian economy, small and cottage industries will have to grow, which will be the emerging economy of the Indian economy.

कोविड-19 संकट आने के पहले भारतीय अर्थव्यवस्था

आंकड़े देते हैं गवाही कोविड-19 संकट आने के पहले भारतीय अर्थव्यवस्था नॉमिनल जीडीपी के आधार पर 45 साल के न्यूनतम स्तर पर थी. रियल जीडीपी के आधार पर 11 साल के न्यूनतम स्तर पर थी. बेरोजगारी की दर पिछले 45 साल में सबसे अधिक थी और ग्रामीण मांग पिछले 40 साल के सबसे न्यूनतम स्तर पर थी. इसलिए बेहतर यह होगा कि जारी आर्थिक संकट को समझने के लिए पिछले 2 वर्ष से चल रहे आर्थिक संकट को भी संज्ञान में लिया जाए. तब जाकर कहीं कोविड-19 संकट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को दोबारा तेजी से आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत नीति का निर्माण हो सकता है. वर्तमान की बात करें तो भारतीय अर्थव्यवस्था एक गहरी संकट की तरफ बढ़ रही है. विभिन्न प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के संदर्भ में जो आकलन जारी किए हैं, वे चिंताजनक हैं. आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एडीबी और मूडीज जैसी संस्थाओं ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में एक बड़ी कटौती की है. आईएमएफ के अनुसार भारत की जीडीपी विकास दर 1.9 फीसदी रह सकती है. वर्ल्ड बैंक ने दो संभावनाएं जताई हैं. पहली संभावना यह है कि अगर भारत सही वक्त पर सही तरीके से इसे कं...

नई आर्थिक नीति का आना

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने हाल ही में 'नेशनल स्टॉक एक्सचेंज' के रजत जयंती समारोह में 1991 के आर्थिक सुधारों को याद किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि 1991 के आर्थिक सुधारों ने भारत को ग्लोबल लीडर के रूप में बदल दिया था. क्या यह सच है? या फिर मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को जवाब. कारण है है कि वर्तमान केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक निर्णयों को आजादी के बाद के अन्य आर्थिक सुधारों की अपेक्षा ऐतिहासिक बता रही है. अब इन दोनों दावों में क्या सच्चाई है, इसके लिए दोनों आर्थिक बदलावों की पड़ताल करनी होगी. 1990 के आर्थिक सुधारों के समय भारत की आबादी 90 करोड़ थी. तब भारत बड़ी आर्थिक मंदी झेल रहा था. उस समय दो हफ्तों तक आयात करने की ही रकम भारतीय अर्थव्यवस्था के पास बची थी. विदेशी मुद्रा भंडार में कुल 110 करोड़ डॉलर बचे थे. उस कठिन परिस्थिति में बड़े बदलाव की जरूरत थी. ADVERTISEMENT तब तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने उस वक्त वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह के साथ मिलकर आर्थिक सुधारों की नींव रखी थी. नेहरू के समय से सोशलिस्ट अर्थव्यवस्था के रूप में बढ़ रहे भ...
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